Breaking News
Trending
एक रिटायर्ड बैंक प्रबंधक के हुनर का कमाल अपने आयुर्वेदिक वैदिक पद्धति से असंख्य दीन दुखियों को कर चुके ठीक
आइए जानते है आयुर्वेद शिरोमणि ,समाज सेवा के अतुल्य जमीनी स्वयंसेवी वैश्य गौरव गोपाल गुप्ता भोपाल से
यह प्रेरक जीवन कथा एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व की है, जिन्होंने बैंक प्रबंधक के पारंपरिक दायरे से निकलकर असंख्य ज़रूरतमंदों को अपनी वैदिक आयुर्वेदिक विद्या से नई ज़िंदगी दी। नीचे प्रस्तुत है ,
सेवा का दूसरा नाम: वैश्य गौरव गोपाल गुप्ता
बैंकिंग से आयुर्वेदाचार्य बनने तक समाज के हर वर्ग को निशुल्क उपचार देने वाले का जुझारू सफर
भोपाल। समाज सेवा, परंपरा और नि:स्वार्थता की मिसाल बने गोपाल गुप्ता ,बैंक प्रबंधन की ऊँचाइयों से आयुर्वेदिक सेवा के माध्यम से हजारों जरूरतमंदों में उम्मीद जगाने वाले शख्सियत। जन्मदिवस पर प्रेरक साक्षात्कार के दौरान डॉ नयन प्रकाश गांधी बताते है कि 4 नवम्बर 1950 को श्री धन्वंतरि दिवस पर मध्यप्रदेश राज्य के राजगढ़ जिले के छोटे से गाँव लखनवास में जन्मे क्रांतिकारी विचारक ,समाज देवी ,जमीनी हकीकत से रूबरू असंख्य युवाओं के प्रेरणास्रोत वैश्य समाज के गौरव ,मेडतवाल वैश्य समाज खैराबाद धाम के मां फलोदी सेवक गोपाल गुप्ता की जड़ें बेहद गहरी और जमीनी हैं। लखनवास की पावन भूमि, जहाँ से आयुर्वेद की रौशनी देश-विदेश तक फैली, वहीं से उन्होंने सामाजिक सेवा का बीज अपने भीतर बोया।
????बैंकिंग वित्तीय समावेशन से आयुर्वेद ज्ञान से सामाजिक सेवक बनने तक का सफर
सेंट्रल बैंक में 2 दिसम्बर 1972 को सेवा यात्रा शुरू कर 30 नवम्बर 2010 को रिटायरमेंट तक, बैंक की जिम्मेदारियों ने उन्हें अनुशासन, ईमानदारी और जन-कल्याण की भावना सिखाई,जहां भी ब्रांच में रहे उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में भी जरूरतमंद महिलाओं पुरुषों ,ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को वित्तीय बचत ,वित्तीय समावेशी आवश्यकताओं पर जागरूकता प्रदान कर हर वर्ग को वित्तीय समावेशन पर जोर दिया और ईमानदारी निष्ठा के साथ अपनी बैंकिंग सेवाएं दी ,परंतु सरकारी बैंकिंग में सर्विस के दौरान ही गरीब जरूरतमंद के पेंशन एवं अन्य कार्य हेतु आते ग्रामीण एवं अन्य तबके वर्ग को देखकर उनकी सेवा की भावना जागृत हुई और ये यात्रा केवल उदरपोषण तक सीमित नहीं रही ,गोपाल गुप्ता मानते है कि गुरु की आज्ञा थी कि आयुर्वेद को सेवा और यश का माध्यम बनाना है और हर वर्ग की सेवा करनी है यही ध्येय गोपाल जी के जीवन का पथप्रदर्शक बना।
ग्रामीण जड़ों से निकालकर सरकारी बैंकिंग सेवा से सामाजिक नेतृत्व तक
बैंकिंग सेवा के दौरान भी वे लगातार आयुर्वेद का अभ्यास करते रहे और विभिन्न स्थानों पर इसकी पढ़ाई एवं शोध को जारी रखा। पन्ना जिले के बघवार ग्राम में बैंक शाखा स्थापित करने के दौरान वे संत श्री कमल दास जी महाराज के सानिध्य में आए। जंगल की दुर्लभ जड़ी-बूटियों का संरक्षण एवं मानव शरीर को समझने की गहन विद्या—यह दीक्षा उन्हें वहीं प्राप्त हुई। उसी आशीर्वाद से वे बैंकिंग के पारंपरिक परिचय से ऊपर उठकर समाज की सेवा में अग्रणी बन गए।
????कोरोना काल: निस्वार्थ सेवा का परिचायक
समाज में कोरोना महामारी के भयावह दौर में “माँ फलौदी सेवक गोपाल गुप्ता बारवा वाले" के नाम से विख्यात गोपाल गुप्ता ने सैकड़ों रोगियों को नि:शुल्क उपचार दिया। उस समय हॉस्पिटल की भीड़, संसाधनों की कमी और भय के बावजूद उन्होंने न तो स्वयं मास्क लगाया और न ही किसी जरूरतमंद मरीज़ को बाध्य किया। आज वे कोरोना काल के अपने सारे मरीज़ों द्वारा आदरपूर्वक याद किए जाते हैं। भोपाल की तमाम संस्थाओं और मध्यप्रदेश सरकार ने उनकी इस अतुल्य सेवा के लिए विविध मंचों पर उन्हें सम्मानित भी किया।
????️????वैद्य शिरोमणि गोपाल बारवा का उनके जन्मदिवस पर राष्ट्र ,समाज के युवाओं, महिलाओं और वरिष्ठजनों के नाम एक संदेश ????
....
बैंकिंग-आयुर्वेद जैसे बिलकुल अलग क्षेत्रों में समरसता के साथ सफलता अर्जित करने वाले गोपाल गुप्ता कहते हैं—
मेरा एक ही ध्येय रहा है जो भी कार्य करो उसे पूरे लगानेके साथ करो , उसके लिए अपना तन , मन ,ओर धन जो भी है है उसे अर्पित करो , जो ऊर्जा भोजन से मिलती है उससे अधिक ऊर्जा सम्मान से मिलती है , सम्मान मांग कर नहीं मिलता यह सदैव याद रखना चाहिये , हमारे प्रत्येक कर्म का आकलन समाज करता रहता है तदनुसार आपको सम्मान स्वयमेव मिलता रहेगा । कुछ ऐसा करो कि समय आने पर आपकी कमी महसूस हो ।
जीवन में अनुशासन, सेवा और मानवीयता ही सच्ची प्रतिष्ठा दिलाती है। वे युवाओं से निवेदन करते हैं कि सेवा को ही आयुर्वेद या किसी भी विद्या का केंद्र मानें ,सिर्फ नाम, लाभ या प्रतिस्पर्धा नहीं।
महिला शक्ति को सलाह: अपने परिवार व समाज की सेहत के लिये आयुर्वेद अपनाएं, क्योंकि यही हमारी विरासत है। वरिष्ठों से उनका आग्रह है कि अपना अनुभव नई पीढ़ी को बांटें, ताकि सदियों पुराना ज्ञान अगली पीढ़ियों तक जीवंत और जनसुलभ बना रहे। सोशल एक्टिविस्ट डॉ नयन प्रकाश गांधी का मानना है कि गोपाल गुप्ता का जीवन-संघर्ष समाज को बताता है कि छोटा सा गांव, सीमित संसाधन या साधारण शुरूआत ,कोई भी आपकी क्षमता और सेवा की ऊँचाई रोक नहीं सकती। वैदिक आयुर्वेद की सेवा में उन्होंने जो अनुकरणीय उदाहरण रखा है, वह प्रगति पथ पर चल रही हमारी युवा पीढ़ी और समाज सेवा के उत्साही लोगों के लिए हमेशा प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।

रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar