Breaking News
Trending
• नेटवर्क प्लेटफार्म को मानती हैं कि बदलाव की सूत्रधार
• निजी अनुभवों को साझा कर फाइलेरिया पर जगा रही हैं जागरूकता की अलख
• फाइलेरिया दिवस पर खुद आगे बढ़कर लोगों को किया था जागरूक
खगड़िया, 14 नवंबर, 2022
फाइलेरिया लंबे समय से उपेक्षित रोगों की सूची में शामिल है. इसे लेकर अब स्वास्थ्य विभाग गंभीर है एवं वर्ष 2030 तक रोग के उन्मूलन का लक्ष्य भी निर्धारित किया है. अब फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आमजन भी आगे आने लगे हैं. जिले के परवत्ता प्रखंड के तेमथा (राका) गाँव की रहने वाली 50 वर्षीया सरिता झा विगत पाँच सालों से फाइलेरिया रोग से ग्रसित हैं. लेकिन अब सरिता झा एक रोगी की जगह फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्य के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं. नेटवर्क से जुड़ने के बाद रोग उन्होंने रोग प्रबंधन का गुर तो सीखा ही है. साथ ही वह आम लोगों को फाइलेरिया से बचाव करने के तरीके भी बता रही हैं. यह बदलाव फाइलेरिया को उपेक्षित रोगों की श्रेणी से हठाने भी सहयोगी साबित हो रही हैं. वहीं, फाइलेरिया उन्मूलन की मुहिम में सामुदायिक भागीदारी बढ़ने की उम्मीदें भी बढ़ी है.
मरीज से सामुदायिक उत्प्रेरक का सफ़र चुनौतिपूर्ण कार्य:
सरिता झा कहती हैं कि वह दो महीने पूर्व तक महज एक फाइलेरिया मरीज थी. लेकिन फिर उन्हें पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क से जुड़ने का मौका मिला. नेटवर्क से जरिए उन्हें रोग की पूरी जानकारी मिली. नेटवर्क के जरिए उन्हें अस्पताल से जुड़ने का मौका मिला एवं रोग प्रबंधन की जानकारी भी मिली. उन्होंने बताया कि उन्हें लगा था कि नेटवर्क से जुड़कर वह अपने रोग का बेहतर ईलाज करेंगी. लेकिन नेटवर्क से जुड़ने के बाद यह एहसास हुआ कि एक मरीज होने के नाते उनकी जिम्मेदारी आम लोगों को यह जागरूक करना भी है कि फाइलेरिया का बचाव आसान है. अब वह खुद को एक रोगी नहीं, बल्कि एक सामुदायिक उत्प्रेरक के रूप में खुद को देखती हैं.
फाइलेरिया दिवस पर निकाली स्कूली बच्चों के साथ रैली:
सरिता झा ने फाइलेरिया दिवस यानी 11 नवम्बर को तेमथा गाँव के सरकारी स्कूल से बच्चों की जागरूकता रैली भी निकाली थी. रैली के जरिए उन्होंने फाइलेरिया रोग पर जागरूकता एवं सामूहिक दवा सेवन पर भी लागों को जानकारी दी. सरिता कहती हैं कि एमडीए यानी सामूहिक दवा सेवन अभियान के दौरान सभी लोगों को दवा जरुर खाना चाहिए. कोई भी व्यक्ति यदि लगातार पाँच साल तक एमडीए के दौरान दवा का सेवन करता है तो वह रोग से बच सकता है. वह बताती हैं कि यह एक छोटा सा सन्देश है. लेकिन सिर्फ इसी एक सन्देश का अनुसरण करने से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है. सरिता झा ने बताया कि मरीजों और आमलोगों के साथ वह छोटे-छोटे बच्चों को भी जागरूक कर रहीं हैं. इसके लिए वह स्कूल और ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर जहाँ बच्चों को फाइलेरिया के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार की जानकारी देकर जागरूक कर रहीं हैं. वहीं, बच्चों को अपने माता-पिता को भी फाइलेरिया से बचाव के लिए आगे आने, दवाई का सेवन करने, लक्षण महसूस होने पर जाँच कराने के लिए प्रेरित करने को लेकर जागरूक कर रही हैं.
अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए कर रहीं हूँ जागरूक :
सरिता झा बताती हैं- ‘‘मैं बीते 05 वर्षों से फाइलेरिया से पीड़ित हूँ. मेरा दाहिने हाथ फाइलेरिया से प्रभावित है. इस दौरान मुझे कभी -कभी सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ा. इसलिए, मैं चाहती हूँ कि अन्य मरीजों को ना ही अवहेलना झेलना पड़े और ना ही अंधविश्वास का शिकार होना पड़े. इसी उद्देश्य से मैं पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क से जुड़ कर नि:स्वार्थ भाव से लोगों को जागरूक कर रहीं हूँ. हालाँकि, अभी शुरूआती दौर है, जिसके कारण कुछ चुनौतियों भी है. वैसे किसी भी चीज को शुरुआत करने में निश्चित रूप से संघर्ष होता है. इसलिए, मैं तमाम संघर्षों और चुनौतियों को दरकिनार कर लोगों को जागरूक कर रहीं हू
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Aishwarya Sinha