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• महिला एवं विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश का किया जाएगा अनुपालन
• महिला पर्यवेक्षिका एवं आंगनबाड़ी सेविका माता-पिता को करेंगी जागरूक
• बच्चों में तनाव जनित प्रतिक्रिया की पहचान करना जरुरी
• बच्चों के मस्तिष्क में चल रहे भय को जाने
बांका/ 20 मई:
कोविड-19 के कारण दैनिक दिनचर्या में अचानक से व्यवधान आया है एवं सामान्य जीवन शैली की वापसी को लेकर अनिश्चितता बनी हुयी है. ऐसे प्रतिकूल माहौल में लोगों के मन में भय एवं तनाव का आना स्वाभाविक है. इसके कारण बच्चों एवं किशोरों को भी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है. इन हालातों के मद्देनजर आईसीडीएस ने भी महामारी के दौरान बच्चों एवं किशोरों की विशेष देखभाल किये जाने की जरूरत पर बल दिया है. इसको लेकर आईसीडीएस के कार्यपालक निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दी है. पत्र में बताया गया है कि बच्चों एवं किशोरों को तनाव से बचाने के लिए महिला एवं विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा पूर्व में ही दिशानिर्देश जारी किया गया था. इसी दिशानिर्देश का अनुपालन करते हुए राज्य में भी आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत है. इसके लिए इस दिशानिर्देश को सभी महिला पर्यवेक्षिका एवं आंगनबाड़ी सेविका को भेजने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि वे माता-पिता को इसके विषय में जागरूक कर सकें.
बच्चों के लिए माता-पिता की उपलब्धता है जरुरी:
महिला एवं विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार कोरोना संकटकाल में बच्चों द्वारा माता-पिता के ध्यान की अतिरिक्त अपेक्षा एवं अपनी चिंता, भय एवं प्रश्न के संबंध में जानने की इच्छा हो सकती है. इसलिए यह जरुरी है है कि बच्चे आशवस्त हो सकें कि कोई उनकी बात सुनने वाला है. इस बात का माता-पिता को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि वे अपने बच्चे एवं किशोर से नियमित तौर पर बात करें एवं उनके प्रश्नों का जवाब भी दें. माता-पिता कोशिश करें कि जानकारी इस प्रकार से सज्जा की जाए कि बच्चे उसे आसानी से समझ सकें. रोचक रूप से वास्तविक जानकारी विस्तार से बच्चों को समझाना चाहिए. साथ ही बच्चों को यह जरुर एहसास दिलाएं कि वे सुरक्षित हैं. इससे बच्चे के दिमाग में चल रहे तनाव में कमी आएगी.
बच्चे पहले से क्या जानते हैं, यह जरुर पता करें:
कोरोना संकटकाल में कई तरह की भ्रामक जानकारियाँ सोशल मीडिया पर फैली है. इसलिए माता-पिता यह जरुर सुनिश्चित करें कि बच्चे पहले से क्या जानते हैं. बच्चे से सवाल पूछकर इसके बारे में पता लगायें. साथ ही गलत जानकारी मिलने पर उन्हें धैर्यपूर्वक वास्तविक जानकारी दें.
भ्रामक जानकारी से बच्चे को दूर रखें:
यह संभव है कि बच्चे सोशल मीडिया में फैलाई जा रही जानकारी से डरने लगें. इसलिए यह ध्यान रखें कि बच्चे समाचार या सोशल मीडिया की जगह रोचक कहानी या सीरियल ही देखें. ऐसी परिस्थिति में बच्चे के मन में कोरोना संक्रमितों को लेकर किसी समुदाय विशेष या व्यक्ति के प्रति नफरत की भावना आ सकती है. इसलिए उन्हें समझाएं कि इसके लिए कोई समुदाय विशेष या व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं है. साथ ही बच्चे को यह जरुर समझाएं कि ऐसे वक़्त में तनाव होना एक सामान्य प्रक्रिया है.
बच्चों एवं किशोरों में तनाव जनित प्रतिक्रिया को ऐसे पहचाने:
• छोटे बच्चों का अधिक रोना या चिढ़ना
• बच्चों का विस्तर पर ही मल-मूत्र का त्याग करने लगाना
• अत्यधिक चिंता एवं उदासी
• किशोरों में चिडचिडापन का बढ़ जाना
• जिन गतिविधियों में बच्चों का मन लगता था उससे दूर भागना
• किशोरों द्वारा शराब, तम्बाकू या अन्य दवाओं का सेवन करने लगना
• बच्चों एवं किशोरों में अस्पष्ट सिरदर्द या शरीर में दर्द होना
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Rashtra Jagrook (Admin)