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मुंबई-
प्रयाग राज में १३ जनवरी २०२५ से आरम्भ होकर २६ फ़रवरी तक चलने वाला कुम्भ अनेक अर्थों में असाधारण है।ये महाकुंभ है जो १४४ वर्षों बाद आया है। किसी किसी के ही भाग्य में होता है कि उसके जीवन काल में महा कुंभ पड़े कौन डेढ़ सौ वर्ष की आयु पाता है वर्तमान युग में? इस कुंभ से ठीक पूर्व आज संतों का एक समागम हो रहा है जिसमें शंकराचार्य के अतिरिक्त शताधिक लब्ध प्रतिष्ठ संत मुंबई में 10 जनवरी को एकत्र होकर संवाद करेंगे। इस सम्मेलन को संत संसद का नाम दिया गया है इस समागम में संत यह निर्णय लेंगे कि इस महा कुंभ में सनातन भारत के विश्व गुरु कथानक (नरैटिव) होने की जो ( कंटेंट) कथा-धार है उसे कैसे एक सुर से वैश्विक स्तर पर विस्तृत करने हेतु आगामी कुंभ में इसके लिए प्रयास किया जाए । तमिलनाडु में दर्पण आश्रम के संस्थापक और सहज स्मृति योग के प्रणेता गुरु जी श्री नंदकिशोर इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थिति रहकर सनातन भारतीय आध्यात्मिक दृष्टि के उन बिंदुओं को संत समाज के समक्ष प्रस्तुत करेंगे जिनका उल्लेख उनकी पिछले महीने में प्रकाशित चर्चित पुस्तक सहज स्मृति योग में हुआ है । कुंभ में संतों और जिज्ञासुओं के मध्य इस पुस्तक पर चर्चा होना सुनिश्चित है।
रिपोर्टर
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Aishwarya Sinha