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— संस्थागत प्रसव,टीकाकरण जैसी सुविधाएं बना रहा आसान
— छोटी बीमारियों में भी करते हैं स्वास्थ्य केंद्र का रुख
लखीसराय -
पहाड़ों और पथरीले रास्तों से घिरा सिंघोल तेतरिया गांव कोड़ा आदिवासियों का गांव है। जिला मुख्यालय से मात्र 16 किलोमीटर दूर होने बावजूद भी यहां स्वास्थ्य संबंधी भ्रांतियां थी। इसका एक प्रमुख कारण यहां किसी स्वास्थ्य संस्थान का न होना था। आदिवासी समाज होने के कारण लोग झाड़ फूंक और जंगलों पर निर्भर थे।
आदिवासी समाज की इन्हीं असुविधाओं ने स्वास्थ्य विभाग का ध्यान अपनी ओर खींचा और करीब एक साल पहले यहां हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना की गयी। इससे न सिर्फ आदिवासी गांव वासियों को उम्मीद की किरण दिखी बल्कि आस पास के सात गांवों के करीब 25 हजार लोगों के बीच गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं की शुरुआत हुई। केंद्र पर जनरल ओपीडी से लेकर एएनसी जांच तक की सुविधा मिल रही है .इस केंद्र पर अब हर रोग अलग अलग तरह की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 40 लोग हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर ओपीडी का लाभ ले रहे हैं।
अब इलाज के लिए भटकते नहीं तेतरिया के लोग
तेतरिया गांव में स्वास्थ्य केंद्र की लाभुक संगीता कहती हैं, अस्पताल खुलने से पहले सोचना पड़ता था कि इलाज कराने शहर जाएं या कमाने। अब इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ता। कंप्यूटर से भी डॉक्टर जुड़ जाते हैं। बहु को बच्चा हुआ उसमें भी यहां से मदद मिली। आशा भी गांव में घूमकर लोगों को हर तरह के स्वास्थ्य सुविधा से जोड़ती है। बहुत खुश हैं गांव के लोग।
घर की जगह अस्पतालों में गूंजने लगी किलकारी
एचडब्लयूसी की कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर श्वेता प्रीतम बताती हैं कि इस केंद्र के खुलने से महिलाओं को फायदा हुआ है। प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव के लिए लोग यहां से संपर्क करते हैं। अब घरों के बदले अस्पताल में यहां के बच्चों की किलकारियां गूंजती हैं। जिस सूई को देखकर लोग डरते थे वहां लोग बच्चों का टीकाकरण कराते हैं। इसका असर यहां के मातृ —शिशु स्वास्थ्य पर भी हुआ है। अब अक्सर ही लोग छोटी बीमारियों में भी स्वास्थ्य केंद्र का रुख कर लेते हैं।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar