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-सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गए हैं, एक साइट पर 300 लोगों की जांच का है लक्ष्य
-शाम साढ़े आठ से रात साढ़े 12 बजे तक 20 साल से अधिक उम्र के लोगों की होगी जांच
बांका-
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन के तरत जिले में नाइट ब्लड सर्वे का काम सोमवार सात नवंबर से शुरू हो रहा है। इसे लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। जिलाधिकारी अंशुल कुमार ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को इस काम में सहयोग करने के लिए कहा है। प्रखंड विकास पदाधिकारी के मातहत काम करने वाले अधिकारियों को इसमें भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। साथ ही इस काम में जीविका व अन्य संगठन भी सहयोग करेंगे। वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे को लेकर जिले के सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गए हैं। एक सेंटिनल तो दूसरा रेंडम साइट। एक साइट पर नाइट ब्लड सर्वे के तहत 300 लोगों की जांच की जाएगी। नाइट ब्लड सर्वे शाम साढ़े आठ बजे शुरू होगा, जो कि रात के 12 बजे तक चलेगा। इस दौरान 20 साल से अधिक उम्र के लोगों के सैंपल लेकर जांच की जाएगी। इस काम स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सहयोग करेंगे।
जिले के इन प्रखंडों के इस-इस गांवों में बनाए गए हैं साइट: अमरपुर प्रखंड के कठेल गांव में सेंटिनेल साइट तो वासुदेवपुर में रेंडम साइट, बांका सदर प्रखंड के चक्काडीह गांव में सेंटिनेल साइट तो खावा-कुरुमातंड में रेंडम साइट, बाराहाट प्रखंड के चिहार गांव में सेंटिनेल साइट तो केनुआटिकार में रेंडम साइट, बेलहर प्रखंड के बारा गांव में सेंटिनेल साइट तो अमहरा में रेंडम साइट, चांदन प्रखंड के चांदन गांव में सेंटिनेल साइट तो बेहरवारी में रेंडम साइट, धोरैया प्रखंड के धोरैया गांव में सेंटिनेल साइट तो भटुआचक में रेंडम साइट, कटोरिया प्रखंड के नारायणपुर में सेंटिनेल साइट तो थाना रोड कटोरिया में रेंडम साइट, रजौन प्रखंड के लाहोरिया में सेंटिनेल साइट तो ओरहरा में रेंडम साइट, बौंसी प्रखंड के गोकुला में सेंटिनेल साइट तो सिरई में रेंडम साइट, शंभूगंज प्रखंड के प्रतापपुर में सेंटिनेल साइट तो भलुआ में रेंडम साइट, फुल्लीडुमार प्रखंड के गोल मैदान राटा में सेंटिनेल साइट तो टक्कीपुर में रेंडम साइट और बांका शहरी क्षेत्र में विजय नगर वार्ड 24 में सेंटिनेल साइट तो करहरिया वार्ड नंबर 10 में रेंडम साइट बनाए गए हैं।
फाइलेरिया के परजीवी रात में ही होते हैं सक्रियः एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता है और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता है। इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जाता है।
नियमित और उचित देखभाल जरूरीः एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित व उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें आशा घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाती हैं।
रिपोर्टर
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Swapnil Mhaske