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अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस पर किशोरियों का फुटबॉल मैच प्रतियोगिता का हुआ आयोजन



सहयोगी संस्था के सहयोग से किया गया आयोजन 

खेल के माध्यम से किशोरियों को सशक्त करने की पहल

खेल-कूद में लड़कियों की सहभगिता बढ़ाने पर दिया गया जोर


पटना/ 11, अक्टूबर: मंगलवार को अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बिहटा प्रखंड के सिमरी पंचायत में सहयोगी संस्था के सहयोग से किशोरियों का फुटबॉल मैच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. आधुनिक परिवेश में खेल-कूद में लड़कों की तरह लड़कियों की समान सहभागिता बढ़ी है. लेकिन अभी भी ग्रामीण परिवेश में खेल-कूद लड़कों तक ही सीमित है. इस रुड़ी मानसिकता में बदलाव लाने एवं लड़कियों की खेल-कूद में प्रतिभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से फुटबॉल मैच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें किशोरियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. 


कई चेहरों पर दिखा आश्चर्य, कई लोगों ने ताली बजाकर मनोबल बढ़ाया: 


प्रतियोगिता आयोजन के दौरान मैच देखने आए दर्शकों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी. कुछ लोगों ने यह भी आश्चर्य प्रकट किया कि क्या लड़कियां भी फुटबॉल खेलती हैं. जबकि कुछ लोग लड़कियों को खेलते देखते हुए खुश भी थे. उनलोगों ने ताली बजाकर किशोरियों का हौसलाअफजाई भी किया. कहने को तो यह एक छोटा सा फुटबॉल मैच था जिसमें किशोरियां प्रतिभाग कर रही थी. लेकिन मैच के माध्यम से लड़कियों की सशक्तिकरण की गूंज पूरे क्षेत्र में सुनाई दी. खेल में प्रतिभाग करने वाली किशोरियों को देखकर दर्शकों में बैठी अन्य किशोरियां भी उत्साहित दिखी. यह उत्साह कुछ इस तरह था जैसे मानों सभी यह कहना चाह रही हों कि लड़कों से लड़कियां किसी भी मामले में कम नहीं है. 

 

हौसलों को पंख देना समाज की जिमेम्दारी: 

सहयोगी संस्था की कार्यकारी निदेशिका रजनी ने बताया कि सामाजिक बदलाव की पृष्ठभूमि बिना महिलाओं या लड़कियों के सहयोग के बिना नहीं बनायी जा सकती है. समाज में शक्ति, ताकत एवं उर्जा का पर्याय लड़कों को मान लिया गया है. इसलिए बचपन से ही लड़कों के खेल तय कर दिए गए हैं. क्रिकेट, कबड्डी एवं फुटबॉल जैसे खेलों को लड़कों के लिए तय कर दिए गए हैं. वहीं, लड़कियों को किचन सेट, गुड्डा-गुड्डी एवं घर के भीतर खेले जाने वाले खेलों में ही शमिल किया जाता है. यह एक निंदनीय सोच है जो बच्चों को जन्म से ही लिंग आधारित भेद-भाव करना सिखाता है. इस मानसिकता को तोड़ने की जरूरत है. यह जिमेम्दारी परिवार तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें समाज की भूमिका भी होनी चाहिए. लड़कियां आसमान आसानी से छू सकती है. बस हमें उनके हौसलों को पंख देने की जरूरत है. समाज एवं परिवार  की प्रगति में योगदान देने के लिए लड़कियां आतुर हैं. यह सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम लड़के एवं लड़कियों के बीच कोई रेखा न खींचे. चाहे खान-पान हो, शिक्षा हो या व्यक्तिक स्वंत्रता की बात हो अभी भी लड़कों एवं लड़कियों के लिए इसमें समानता की कमी दिखती है. लड़के एवं लड़कियों में हर पहलु पर समानता ही सही मायने में विकास को परिभाषित कर सकता है. इसके लिए लड़कियों को लड़कों की भांति समान अवसर देना ही होगा. जब दोनों एक साथ मिलकर आगे बढेंगे तभी परिवार, समाज एवं देश आगे बढ़ेगा. 


कार्यक्रम में सिमरी के मुखिया ओम प्रकाश तथा मूसेपुर की सरपंच रीता देवी भी शामिल थी

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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