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-बड़े निजी अस्पताल या फिर दूसरे शहर में जाने की जरूरत नहीं
-सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक है मुफ्त
बांका, 25 सितंबर। सरकार 2025 तक टीबी उन्मूलन को लेकर संकल्पित है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान भी चला रहा है। जिले के सभी सरकारों अस्पतालों में इसके इलाज से लेकर जांच तक की मुफ्त व्यवस्था है। साथ में दवा भी दी जाती और जब तक दवा चलती है टीबी के मरीज को पौष्टिक भोजन के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जाती है। इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े निजी अस्पताल या फिर बड़े शहर की ओर जाते हैं। फिर वहां से निराश होकर जिले के सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटना पड़ता है। ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। जैसे ही टीबी के बारे में पता चले तो पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल ही जाएं।
कटोरिया की रहने वाली लीलावती देवी एक साल पहले टीबी की चपेट में आई। इसके बाद वह पहले निजी अस्पताल गईं फिर भागलपुर के मायागंज अस्पताल। आखिरकार नौ महीने पहल वह जिला यक्ष्मा केंद्र बांका आईं, जहां उनकी मुलाकात डीपीएस गणेश झा से हुई। गणेश झा ने जब उनकी जांच करवाई तो टीबी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ। नौ महीने तक दवा का सेवन करने के बाद वह ठीक हैं। अब उन्हें अफसोस हो रहा है कि पहले ही सरकारी अस्पताल क्यों नहीं गई।
पहले ही सरकारी अस्पताल जाना चाहिए था- लीलावती देवी कहती हैं कि पहले मुझे लगा कि निजी अस्पताल में बेहतर इलाज होता होगा, यह सोचकर मैं निजी अस्पताल गयी। वहां जब ठीक नहीं हुई तो इसके बाद मैं भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल गयी । लेकिन मुझे अंत में जिला यक्ष्मा केंद्र आना पड़ा, जहां डीपीएस गणेश झा जी से मुलाकात के बाद मेरा इलाज शुरू हुआ औऱ अब मैं स्वस्थ्य हूं। इलाज के दौरान जांच और दवा के मुझसे कोई पैसे नहीं लिए गए। साथ में जब तक इलाज चला, मुझे प्रतिमाह पौष्टिक भोजन के लिए राशि भी मिली। अब जाकर मैं महसूस करती हूं कि जिस समय मुझे पता चला था, अगर उसी समय चली जाती तो मैं थोड़ा जल्द ठीक हो जाती ।
टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें- जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि टीबी के लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलता रहता है, जिसमें यह तो बताया ही जाता है कि टीबी का इलाज बिल्कुल मुफ्त में होता है। साथ में यह भी बताया जाता है कि नियमित तौर पर दवा का सेवन करें। नहीं तो एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाएंगे। इसलिए लोगों से यही अपील है कि टीबी के इलाज के दौरान बीच में दवा नहीं छोड़ें और शुरुआत में ही सरकारी अस्पताल आ जाएं।
रिपोर्टर
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Aishwarya Sinha