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बांका में जल्द शुरू होगा नाइट ब्लड सर्वे का काम

 
नाइट ब्लड सर्वे से फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर का चलेगा पता
जिले को फाइलेरिया से मुक्त बनाने के लिए लगातार चल रहा है अभियान
बांका, 24 अगस्त
जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। इसे लेकर पिछले दिनों 2399 मरीजों की पहचान की गई है। इनमें से 198 लोगों के हाइड्रोसिल में सूजन है। इनका शिविर लगाकर जल्द ही ऑपरेशन किया जाएगा। बचे हुए लोगों को एमएमडीपी किट दी जाएगी। किट में मौजूद सामान से मरीज फाइलेरिया मैनेजमेंट कर सकेंगे। फाइलेरिया मरीज जख्म होने पर किट में मौजूद सामान के जरिये वह अपना तात्कालिक इलाज कर सकेंगे, जिनसे उन्हें राहत मिलेगी। इसके अलावा प्रखंड स्तर पर नाइट ब्लड सर्वे का काम भी किया जायेगा। इस संबंध में फाइलेरिया विभाग के राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिये हैं। निर्देश में कहा गया है कि वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल की गाइडलाइन के आधार पर राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे का काम प्रखंड स्तर पर किया जाये। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। इस संबंध में राज्य स्तरीय बैठक की जा चुकी है। पटना में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन भी 23 अगस्त को हो गया, जिसमें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी व वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने हिस्सा लिया। 
फाइलेरिया के परजीवी रात में ही होते हैं सक्रियः नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता है और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता है। इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जाता है। 
नियमित और उचित देखभाल जरूरीः जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित व उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें आशा घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाती हैं। 
हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरीः वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाता है, हाथीपांव होने पर उसे चोट या जख्म से बचाना जरूरी है। हाथीपांव के पीड़ित लोग अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सक से इसकी देखभाल की जानकारी ले सकते हैं। हाथीपांव के शिकार लोगों के लिए एमएमडीपी किट दिये जाते हैं। इस किट में हाथीपांव की देखभाल और साफ-सफाई करने के लिए आवश्यक दवाइयां और अन्य सामग्री होती हैं। देखभाल और उपचार की जानकारी लेकर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। फाइलेरिया मरीजों के लिए रोग प्रबंधन में एमएमडीपी किट काफी उपयोगी है।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Swapnil Mhaske

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