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घरेलू प्रदूषण भी आपके बच्चे को निमोनिया से कर सकता है ग्रसित

 
• राज्य के 14 जिलों में चल रहा सांस कार्यक्रम 
• 5 साल तक के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का प्रमुख कारण 
• पीसीवी, पेंटावेलेंट एवं मिजिल्स का टीका निमोनिया रोकथाम में प्रभावी 
• ठण्ड के मौसम में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत
 
पटना: ठण्ड के मौसम की शुरुआत के बाद शिशुओं में निमोनिया का खतरा बढ़ गया है. कोविड संक्रमण के इस दौर में बच्चों में निमोनिया का संक्रमण उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में निमोनिया को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है. अध्ययन इस बात की पुष्टि भी करते हैं कि 5 तक के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. इस लिहाज से निमोनिया पर प्रभावी नियंत्रण कर बच्चे में होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. 
 
घरेलू प्रदूषण एक बड़ा कारण : 
बाल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीपी राय ने बताया कि बच्चों में निमोनिया होने के कई कारण होते हैं. लेकिन ग्रामीण परिवेश में घरेलू प्रदूषण निमोनिया का एक बड़ा कारण है. कई बार यह देखा जाता है कि गाँवों में लोग मच्छर भगाने के लिए घर में धुआँ करते है. ठण्ड में शिशुओं को गर्मी देने के लिए भी आग जलाते हैं. आग जलाने से काफ़ी मात्रा में धुआं होता है जो बच्चों में निमोनिया का कारण भी बनता है. उन्होंने कहा कि बच्चे को निमोनिया से सुरक्षित रखने के लिए घरेलू प्रदूषण करने से बचना चाहिए. 
डॉ. राय ने बताया कि निमोनिया से बच्चे को बचाने के लिए पीसीवी का टीका दिया जाता है. सभी लोगों को अपने बच्चे को यह टीका जरुर लगवाना चाहिए. साथ ही पेंटावेलेंट एवं मीजिल्स का भी टीका निमोनिया रोकथाम में सहायक होता है. इसलिए बच्चों को सभी टीके समय पर लगवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बेहतर पोषण भी निमोनिया रोकथाम में कारगर होता है. शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत जरुर करनी चाहिए. इसके बाद 6 माह तक केवल शिशु को स्तनपान कराना चाहिए. इस दौरान ऊपर से पानी भी नहीं देना चाहिए. साथ ही 6 महीने के बाद स्तनपान के साथ बच्चों को संपूरक आहार शुरू कर देना चाहिए. इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है एवं बच्चा निमोनिया सहित कई अन्य रोगों से भी सुरक्षित रहता है. 
राज्य के 14 जिलों में चल रहा है सांस कार्यक्रम:
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से भी सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) कार्यक्रम का शुरुआत की गयी है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया प्रबंधन को सुदृढ़ करना है. बिहार में 14 जिलों में सांस कार्यक्रम संचालित की जा रही है. जिसमें नालंदा सहित राज्य के 13 आकांक्षी जिले शामिल हैं.  इसको लेकर फ्रंट लाइन वर्कर्स को ट्रेनिंग भी दी गयी  है. जिसमें उन्हें रोग की पूर्व में ही पहचान करने एवं मरीज की स्थिति को देखकर उनका उचित रेफेरल के विषय में जानकारी दी गयी है. यह एक अच्छी पहल है. जिससे आने वाले समय में निमोनिया पर प्रभावी नियंत्रण में सफलता मिलेगी. 
 
ऐसे बचाएं बच्चे को निमोनिया से 
 
• घर के अंदर किसी भी तरह से धुआं करने से परहेज करें 
• बच्चे को धुएं वाली जगहों से दूर रखें 
• हाथों की सफाई एवं आस-पास की सफाई पर ध्यान दें
• बच्चे में सर्दी और खांसी के लक्षण दिखने पर आशा या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें 
• सर्दी के मौसम में बच्चों को स्वेटर एवं टोपी जरुर लगायें 
• धात्री माताएं शिशु को 6 माह तक नियमित तौर पर केवल स्तनपान कराएँ

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Swapnil Mhaske

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